
हनुमानगढ़। जिले में पिछले एक सप्ताह से लगातार भारी बारिश हो रही है। लगातार नमी के कारण कच्चे मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। अब तक दो सौ से अधिक कच्चे-पक्के मकानों के ढहने की जानकारी सामने आई है।
इतना ही नहीं, शहर का ऐतिहासिक भटनेर किला भी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एहतियात के तौर पर पुरातत्व विभाग ने किले के क्षतिग्रस्त हिस्सों के चारों ओर रेलिंग लगा दी है और आम लोगों की आवाजाही रोक दी गई है।
संरक्षण सहायक विपुल कुमार ने बताया कि भारी बारिश के कारण केंद्रीय संरक्षित स्मारक भटनेर किले की दीवारें और बुर्ज क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सोरगर मोहल्ले के पश्चिमी हिस्से का बुर्ज ढह गया है और उत्तरी हिस्से की दीवार भी टूट गई है।
आने वाले दिनों में और बारिश होने की संभावना है। इसलिए किले के आसपास रहने वाले लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने की अपील की गई है। साथ ही, पुरातत्व विभाग ने कलेक्टर को पत्र लिखकर निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।
भटनेर किले का इतिहास
भटनेर किला, जिसे अब हनुमानगढ़ के नाम से जाना जाता है, राजस्थान में स्थित एक प्राचीन और मज़बूत किला है। इसका निर्माण तीसरी शताब्दी में भाटी शासक भूपत सिंह ने करवाया था और भाटियों के किले के रूप में इसका नाम ‘भटनेर‘ रखा गया। यह किला तैमूर, महमूद गजनवी, पृथ्वीराज चौहान और अकबर जैसे कई शासकों के शासन में रहा है और इसे भारत के सबसे पुराने और मज़बूत किलों में से एक माना जाता है।
निर्माण और स्थापना
भटनेर किले का निर्माण 295 ईस्वी में जैसलमेर के भाटी राजा भूपत सिंह ने करवाया था।
यह किला घग्गर नदी के तट पर स्थित है और उत्तरी सीमा के रक्षक के रूप में प्रसिद्ध है।
इसे भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है और इसकी मज़बूत दीवारों के कारण इसे जीतना बेहद मुश्किल था।
इतिहास के प्रमुख पड़ाव
महमूद गजनवी का आक्रमण:
महमूद गजनवी ने 1001 ईस्वी में किले पर कब्ज़ा कर लिया।
तैमूर का आक्रमण:
1398 ई. में तैमूरलंग ने इस पर आक्रमण कर इसे लूटा और अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-तैमूरी’ में इसे हिंदुस्तान का सबसे मज़बूत किला बताया।
अन्य शासकों का शासन:
इस किले पर पृथ्वीराज चौहान, अकबर, कुतुबुद्दीन ऐबक और राठौड़ सहित कई शासकों ने शासन किया।
हनुमानगढ़ का नामकरण:
1805 ई. में बीकानेर के राजा सूरज सिंह ने जैसलमेर के भाटी शासकों को हराकर इस पर कब्ज़ा कर लिया। ऐसा माना जाता है कि यह विजय मंगलवार को हुई थी, जो हनुमान जी का दिन है, इसलिए इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया और किले में एक हनुमान मंदिर बनाया गया।